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टूण्डला (रामनगर):ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र पर बड़े ही धूमधाम से चैत्र नवरात्री चैतन्य देवियों की झांकी का आयोजन

टूण्डला (रामनगर):ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र पर बड़े ही धूमधाम से चैत्र नवरात्री चैतन्य देवियों की झांकी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि डॉ.आँसू गुप्ता(D T M धर्म पत्नी) साथ में बहन प्रतिभा उपाध्याय जी(स्वीप ब्रांड अवेन्सडेर) शिव प्प्रसाद मेमोरियल बालिका महाविद्याल की प्रधानाचार्या (बहन लक्षमी जी)ने फीता काटकर किया उद्धघाटन सभी देवियों का दर्शन कर दीप प्रज्वलन किया।और आरती कर देवियों से लिया आशीर्वाद तथा सभी अतिथियों ने चैतन्य देवियों को पुष्प माला पहनाकर किया सम्मान इसी बीच सेवाकेंद्र प्रभारी बी.के.विजय बहन जी ने बताया नवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य, भारत हमारा अध्यात्म प्रधान देश है जिस की सभ्यता और संस्कृति बहुत ही श्रेष्ठ है। यह श्रेष्ठ सभ्यता और संस्कृति हमारे त्योहारों में झलकती है ऐसी एक त्यौहार नवरात्रि का जिस नवरात्रि के त्यौहार में बड़े ही धूमधाम से भारत भर में सभी मनाते हैं देवियों का पूजन करते हैं उपवास करते हैं ,और कितना उमंग उत्साह के अंदर आ जाते हैं भारत में वैसे दो नवरात्रि मनाई जाती है और यह नवरात्रि हमेशा ऋतु परिवर्तन होती है तभी आती है नवरात्रि अर्थात कोई 24 घंटे के दिन और रात्रि की बात नहीं परंतु जिस प्रकार श्रीमद भगवत गीता में कहा हुआ है कि ब्रह्मा की रात्रि ब्रह्मा का दिन सतयुग, त्रेता है ब्रह्मा का दिन ,और द्वापर ,कलयुग है ब्रह्मा की रात इसी प्रकार जब संसार में अज्ञानता की रात्रि छा जाती है तो ऐसे समय पर ही परमात्मा भी संसार में शक्तियों की उत्पत्ति करते हैं जिससे अंधकार अज्ञानता का समाप्त हो और मनुष्य जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैल सके ऐसे समय पर यह त्योहार मनाए जाते हैं उसका यह आध्यात्मिक भाव है इसीलिए सभी त्योहारों के साथ रात्रि शब्द का विशेष महत्व होता है क्योंकि रात्रि के समय पर व्यक्ति तपस्या करता है आराधना करता है तो विशेष शक्तियां ,को सिद्धियों ,को प्राप्त कर सकता है तभी हर त्योहार रात्रि के साथ संबंध रखता है चाहे वह दीपावली हो, होली हो ,शिवरात्रि हो नवरात्रि हो ,इन सभी का रात्रि के साथ बहुत गहरा संबंध है और यह रात्रि अज्ञानता की रात्रि को समाप्त करने वाली बात है साथ ही साथ इन्हीं दिनों पर मंदिरों में घंटा बजाते हैं शंख बजाते हैं और यह सब बजाने के पीछे एक ध्वनि उत्पन्न करते हैं।कि जिन ध्वनि से भी जो तामसिक वातावरण के अंदर है उस तामसिक वातावरण को समाप्त कर आसुरियत वातावरण के अंदर जो प्रवृत्ति है व्यक्ति के अंदर उसे समाप्त कर उसके अंदर एक ऊर्जा को जागृत करने की बात है। और इसीलिए इस नवरात्रि में विशेष इन्हीं बातों के आधार पर नौ देवियों का गायन है इस नवरात्रि त्योहार में व्यक्ति विशेष क्या करते हैं तो इन्हीं दिनों में सबसे पहले कलश की स्थापना होती है, दूसरा अखंड दीप जलाते हैं, तीसरा व्रत नियम उपवास रखते हैं, और चौथा कन्या पूजन करते हैं, यह सब बातों के पीछे भी आध्यात्मिक भाव है सर्वप्रथम कलश की स्थापना अर्थात निराकार परमपिता परमात्मा शिव संसार में आते हैं तो हमारी बुद्धि के अंदर ज्ञान का कलश जिस ज्ञान के कलश की स्थापना से अज्ञानता का अधिकार नष्ट होता है दूसरा अखंड दीप जलाते हैं अर्थात आत्मा की ज्योति को प्रगताते हैं ।उसमें ज्ञान का घृत जब पड़ता है तब आत्म ज्योति निरंतर जलने लगती है। अखंड दीप हमारा जागृत हो जाता है अर्थात जीवन के अंदर कोई न कोई हमें इन्हीं दिनों में धारण करना होता है इसलिए 9 दिन विशेष कोई ना कोई दृढ़ संकल्प को अपने मन के अंदर धारण करते हैं नियम अर्थात इन्हीं दिनों में कोई विशेष नियम को अपनाते हैं कि प्रतिदिन रोज सवेरे उठना और उठ कर के कुछ न कुछ आराधना करना परमात्मा को याद करना और, उपवास करते हैं उसके पीछे भाव यही है मनुष्य के मनोबल में वृद्धि हो तो व्रत नियम और हमारे अंदर मानसिक शक्ति की वृद्धि होती है हमारा मनोबल बढ़ता है और इन्हीं दिनों में कन्या पूजन भी करते हैं इस कन्या पूजन के पीछे भी भाव यही है कि जो संसार के अंदर कन्याएं है उनका सम्मान करना और जब इन का सम्मान करते हैं तो परमात्मा भी प्रश्न रहते है ।जिस घर में कन्याओं का मान होता है उस घर में देवताओं का वास होता है जहां सिर्फ सभ्यता और संस्कृति दिव्यता का संचार होता है वही मां लक्ष्मी की पदरा मणि होती है ।शक्ति की देवी दुर्गा है जीवन में तीन देवियों का भी बहुत महत्व है विशेष स्थान है जीवन के अंदर तीन चीजों की आवश्यकता मानी जाती है ।बाद में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर किया सम्मानित i तथा दर्शनों के लिए भक्तजनो की लगी रही कतार |